क्यों
बात-बात पर आंखों में आंसू आते क्यों हैं
हैरान हूं ये लोग इतना अश्क बहाते क्यों है ं
खुशबू की ओट में कांटों का मेला लगता है
ये लोग इतना ज्यादा गुलाब उगाते क्यों है
मुस्कुराकर मिलने की तालीम नहीं इन्हें
ये एक दूसरे की गलियों में जाते क्यों हैं
धुएं की गर्माहट से परहेज है इनको
आग पानी को साथ साथ लाते क्यों हैं
आंखें बेदाग है इनकी, शक्ल पूरी लाल है
एक दूसरे को ये आईना दिखाते क्यों हैं
दर्द बर्दाश्त करने की फितरत नहीं जिनकी
वे डूब कर इतना दिल लगाते क्यों हैं
बात-बात पर आंखों में आंसू आते क्यों है
ये लोग इतना ज्यादा गुलाब उगाते क्यों हैं