क्यों ???
क्यों हिचकिचाहट भरी हो जाती हैं
मामूली-सी बातें ?
क्यों बड़ी मुश्किल हो जाती हैं
छोटी सी शुरुवातें ?
क्यों घंटों सोचते हैं
चंद लम्हे बात करने को ?
क्यों अक्सर कतराते हैं
पहले शुरुवात करने को ?
क्यों बेजान से तकिए पर सिर रख कर
रोना आसान लगता है?
शायद जानदार का कंधा उस तकिए से भी ज्यादा बेजान लगता है ।।।