क्यों हो ?
नाकामी अपनी छुपाते क्यों हो
इल्जाम उन पर लगाते क्यों हो
आज़ाद उड़ने दो पंछियों को
जालों में उनको फँसाते क्यों हो
पहचानते हैं सब अपना चेहरा
आईना फिर तुम दिखाते क्यों हो
जो झुक रहें हैं किसी के दर पर
उन्हें सर अपना झुकाते क्यों हो
करते हैं वो खुद इलाज अपना
दवाई उनको बताते क्यों हो
कभी न जिनने सताया तुमको
वेवजह आखिर सताते क्यों हो
मुंह फेरते हैं अगर हमेशा
तो उनके घर द्वार जाते क्यों हो
वो रूठने का किये है नाटक
तुम सच में उसको मनाते क्यों हो
अपनी गली का है वो मुसाफिर
आवाज देकर बुलाते क्यों हो
बीमारियाँ जिनसे बढ़ती जातीं
तो इन दवाओं को खाते क्यों हो