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4 Jun 2023 · 1 min read

क्यों है

अँधियारों में जीवन कलिका,
प्रतिपल रंग बदलती क्यों है,
क्यों होते परिवर्तन अप्रियतर,
अखियाँ प्रायः छलकती क्यों हैं।

जीवन की संध्या में, अचरज,
नियति संग बदलती क्यों है,
ठोकर खाती हुई जिन्दगी,
नाड़ी प्रायः संभलती क्यों है।

जीवन-मृत्यु युगल निरर्थक,
तृष्णा किन्तु मचलती क्यों है,
नवजीवन का चारु द्वार, पर,
मृत्यु प्रायः अखरती क्यों है।

भौतिकता की परिधि चारु में,
आत्मा शुचित तरसती क्यों है,
प्रारब्ध कार्मिक कारण भी हो,
स्वाँसें मौन बिखरती क्यों हैं।

–मौलिक एवं स्वरचित–

अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ
लखनऊ (उ.प्र. )

Language: Hindi
185 Views

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