“”””क्यों रहूं किसी से दूर””””
जीवन क्षण भंगुर क्यों रहूं किसी से दूर ।
मिलनसार ही जीवन मेरा तवज्जो देता इसे जरूर।।
देखता हूं कमियां स्वयं की गुण ओरो के अपनाता ।
जी रहा मैं जीवन अपना खुशियों से भरपूर।।
चाहत रहती बार-बार है कहती कर्म प्रबल निर्मल मन हो ।
पग पग पर मानवता का चढ़ता रहे शुरुर।।
जब तक यह तन जीवन ही मेरा धन ।
बनने ना दूंगा इसको कभी भी पेड़ खजूर ।।
जाऊं जग से उससे पहले कर जाऊं ऐसा ।
पास में चाहे कोड़ी ना पैसा
अनुनय पढ़ती रहे पीढ़ियां मुझको
याद रखें यह दुनिया पैगाम जरूर ।।
राजेश व्यास अनुनय
है तन जीवन ही मेरा धन