क्यों महिला दिवस मनाते हैं।
महिला दिवस पर विशेष
इस सृष्टि की संचालिका का विशेष दिवस मनाते हैं,
महिला दिवस के नाम पर स्त्री को सम्मान दे कर क्यों ढोंग रचाते हैं?,
भ्रूण हत्या,कर , जब आने न देते उस मासूम को इस जहां में,
मार देते क्यों कोख में ही, बेटी होने का क्यों शोक मनाते हैं,
न जाने वर्षों से चली आ रही दहेज़ प्रथा को परंपरा का नाम क्यों दे जाते हैं,
दहेज़ के लोभ के कारण, नारी की क्यों बली चढ़ाते हैं,
अपने हवस की भूख मिटाने के खातिर छोटी –छोटी मासूम बच्चियां हो या फिर अस्सी बरस की कोई लाचार बुज़ुर्ग महिला,
क्यों उन्हे अपना शिकार बनाते हैं?
और तो और, विधवा आश्रम और अनाथ आश्रम में भी कुकर्म रचाते हैं,
न आंखो में लाज बची है न मन में कोई शर्म,
तो फिर क्यों महिला दिवस मनाते हैं ?
मंदिरों में देवी माँ को चुनरी चढ़ा छप्पन भोग चढ़ाते हैं,
और अपनी पत्नी की खातिर अपनी ही माँ को क्यों वृद्धा आश्रम छोड़ आते हैं,
क्या औचित्य है ऐसा नारी दिवस मनाने का,
जो नारी हर दिन सम्मान की अधिकारी है ,
बस एक दिन उसका दिवस मना कर क्यों एहसान जतातें हैं।
मधु मूंधड़ा मल्ल
8/3/2022