क्यों———हो?
दाना पानी पक्षियों को, बड़े प्यार से देते हो।
इतने अच्छे हो तो पिंजरे, में क्यों बसाते हो?
मदारी भी कपड़े का, करता लिहाज यारों,
अर्ध्वस्त्र कठपुतली, तू क्यों नाचते हो?
जिसने सहारा दिया, आँखें अंधी रहीं जब,
उजला पाते ही झट,वो छड़ी क्यों हटाते हो?
कुर्सियाँ तो बेवफा, होती हैं सब जानते हैं,
शान जान लेने वाली, बाजी क्यों लगाते हो?
न्यायालय खोल रखे, लिखा न्याय होता यहाँ,
तब दस वाला स्टैम्प, बीस में क्यों बेचवाते हो?
काट जब थक जाते, पेड़ की दरख़्त तुम,
फिर किसी डाली नीचे, आके क्यों छहाते हो?
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अशोक शर्मा, लक्ष्मीगंज, कुशीनगर,उत्तर प्रदेश