Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2021 · 2 min read

क्यों एक ही घटना में अलग अलग लोग अलग अलग रिएक्शन देते है – आनंदश्री

क्यों एक ही घटना में अलग अलग लोग अलग अलग रिएक्शन देते है – आनंदश्री

– घटना एक लेकिन रिएक्शन अलग, कुछ टूट जाते हैं तो कुछ रिकॉर्ड तोड़ जाते है

यह दुनिया आश्चर्य से भरी है। हर समय कुछ न कुछ घटना घट रही है। कुछ जानते है कुछ नही जानते। जो होश में हैं वह आनंद है, जो बेहोश है वह दुख में है।

आनंद पास हो
परीक्षा कौन पास करता है। जो तैयारी करता है। जो होश में परीक्षा देता है। जो धैर्य के साथ रहता है। जो अपने आप से जुड़ा है। आनंद भी ऐसा ही है। आनंद को पास करे। आनंद को फैलाये। आनंद आपका स्वभाव है।

समय एक , घटना एक, जगह एक लेकिन प्रतिक्रिया अलग अलग
आपकी प्रतिक्रिया आपका नजरिये पर है। आपका माइन्डसेट क्या है। आप सकारात्मक सोच वाले हैं कि नकारात्मक सोच रखते है।
कोरोना में बहूत से लोग टूट गए लेकिन इसी समय कुछ लोगो ने अपना नया रिकॉर्ड भी कायम किया। नया कीर्तिमान स्थापित किया।

आपने नजरिये को जानिये
इस लॉकडौउन में सबसे बड़ा काम जो आप कर सकते है वह यह कि अपना नजरिया को पहचानना। आपकी सोच और भावना किस तरह से समय समय पर बदलती है। क्या होता है कि समय और जीवन बदल जाता है। जिसे हम रूपांतरण कहते है।

अपने माइन्डसेट पर काम करें। किताब, लेख, अच्छे लोग का चुनाव, अच्छी आदतों का विकास, अपने नजरिये को सकारात्मक रूप देना। यह सब आपको नया नजरिये देगा।

प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट
मुम्बई
8007179747

Language: Hindi
227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मित्र भेस में आजकल,
मित्र भेस में आजकल,
sushil sarna
अकेलापन
अकेलापन
लक्ष्मी सिंह
You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
ह्रदय की स्थिति की
ह्रदय की स्थिति की
Dr fauzia Naseem shad
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
🙅आज का मुक्तक🙅
🙅आज का मुक्तक🙅
*प्रणय*
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
शेखर सिंह
2759. *पूर्णिका*
2759. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दहकता सूरज
दहकता सूरज
Shweta Soni
The Moon and Me!!
The Moon and Me!!
Rachana
ये तलाश सत्य की।
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari
यह कौनसा आया अब नया दौर है
यह कौनसा आया अब नया दौर है
gurudeenverma198
माँ दे - दे वरदान ।
माँ दे - दे वरदान ।
Anil Mishra Prahari
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
manorath maharaj
छल करने की हुनर उनमें इस कदर थी ,
छल करने की हुनर उनमें इस कदर थी ,
Yogendra Chaturwedi
बस तुम हो और परछाई तुम्हारी, फिर भी जीना पड़ता है
बस तुम हो और परछाई तुम्हारी, फिर भी जीना पड़ता है
पूर्वार्थ
हम राज़ अपने हर किसी को  खोलते नहीं
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
Dr Archana Gupta
दुनिया के डर से
दुनिया के डर से
Surinder blackpen
श्रम साधक को विश्राम नहीं
श्रम साधक को विश्राम नहीं
संजय कुमार संजू
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*पंचचामर छंद*
*पंचचामर छंद*
नवल किशोर सिंह
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
surenderpal vaidya
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
ज़माने की ख़राबी न देखो अपनी आंखों से,
ज़माने की ख़राबी न देखो अपनी आंखों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लिट्टी छोला
लिट्टी छोला
आकाश महेशपुरी
सच्चे लोग सागर से गहरे व शांत होते हैं!
सच्चे लोग सागर से गहरे व शांत होते हैं!
Ajit Kumar "Karn"
शिद्दत से की गई मोहब्बत
शिद्दत से की गई मोहब्बत
Harminder Kaur
चलने का नाम ज़िंदगी है
चलने का नाम ज़िंदगी है
Sonam Puneet Dubey
Loading...