क्यों उसको, निहारना छोड़े l
क्यों उसको, निहारना छोड़े l
क्यों सुखों से, नहाना छोड़े ।।
ये जीवन, क्यों कर है छोड़े ।
क्यों हुश्न को, मनाना छोड़े ।।
क्यों कर हम, हक अपना छोड़े ।
क्यों हुश्न का, सहज सपना छोड़े ।।
जब जीत की, इच्छा न छोड़े ।
होश खोना, रूकना छोड़े ।।
क्यों यादों का, आना छोड़े ।
क्यों ना सुख, गंवाना छोड़े ।।
क्यों कर हम, झुकना ना छोड़े l
क्यों हम प्यास, तराना छोड़े ll
अरविन्द व्यास “प्यास”