क्यों उदास है यह दिल
आज न जाने , क्यों उदास है यह “दिल”
समझ नहीं आता, क्यों बे वजह उदास है यह “दिल”
कहीं ख़ुशी और कहीं गम देख कर,उदास है यह “दिल”
दिल को बहुत समझाया पर फिर भी यह उदास है यह”दिल”
जिन्दगी के मोड़ भी , कितने मोड़ो से मुड जाते हे,
कुछ याद रह जाते हैं, और कुछ हमें भूल जाते हैं,
दोस्तों के साथ किया था, दोस्ती का एक वादा हमने
पता नहीं फिर भी , दोस्त किस मोड़ पर मुड जाते हैं !!
आजमाने का जब वक्त सामने आया, वो हमें यूं ही झांसा दे जाते हैं
तुम यहाँ पर ठहरो मेरे दोस्त, हम अभी किसी से मिलकर आते हैं,
न वो आये, दोबारा उस राह पर, जिन्दगी में तन्हा छोड़ कर चले गए
हम उठा उठा कर अपनी पलकों को, सांसो कि डोर छोड़ यहाँ चले गए !!
धन, दौलत, हवस, वासना, लूट, खसौट, सभी यहाँ कि दौलत है
हम ने तो दोस्तों से वादा किया था, यही हमारी दौलत है
तुम्हारे रहमो कर्म से , संसार में साथ चलने का किया था वादा
बस गुजारिश है, दोस्तों तुम सभी से, यही एक निभाना वादा !!
अंत में यह कहने को मजबूर न होना पड़े, इस दिल के अंदर से
दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा
जिन्दगी हमें तेरा ऐतबार न रहा,
ऐतबार न रहा …….
अजीत कुमार तलवार
मेरठ