तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
23/77.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
हो गये अब हम तुम्हारे जैसे ही
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
*चलता रहेगा विश्व यह, हम नहीं होंगे मगर (वैराग्य गीत)*