Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2016 · 1 min read

क्यों इश्क करना महंगा पड़ा

क्यों इश्क करना उसे महंगा पड़ा
फिर निगाहों का कड़ा पहरा पड़ा

यार मेरा हो गया जो बाबला
जब शरारत की तभी डण्डा पड़ा

वो समझता क्यों नहीं समझाने से
इसलिए किस्मत पे अब ताला पड़ा

प्यार मेरा जो हमेशा से रहा
भूल अपना आज जो डूबा पड़ा

मैं बना सजना लगा लूँगी गले
क्योंकि पीछे आज ज्यादा पड़ा

जब चढ़ा उसको इश्क का फिर ज्वर
इसलिए फिर आज वो औंधा पड़ा

साथ उसके ही रहूँगी आज मैं
क्योंकि मेरे साथ ही पाला पड़ा

डॉ मधु त्रिवेदी

72 Likes · 399 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
“Do not be afraid of your difficulties. Do not wish you coul
“Do not be afraid of your difficulties. Do not wish you coul
पूर्वार्थ
प्रजातन्त्र आडंबर से नहीं चलता है !
प्रजातन्त्र आडंबर से नहीं चलता है !
DrLakshman Jha Parimal
शब्द
शब्द
Dr. Mahesh Kumawat
एक कहानी है, जो अधूरी है
एक कहानी है, जो अधूरी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम्ही ने दर्द दिया है,तुम्ही दवा देना
तुम्ही ने दर्द दिया है,तुम्ही दवा देना
Ram Krishan Rastogi
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
ग्रीष्म
ग्रीष्म
Kumud Srivastava
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
दर्द
दर्द
SHAMA PARVEEN
-मां सर्व है
-मां सर्व है
Seema gupta,Alwar
🙅एक न एक दिन🙅
🙅एक न एक दिन🙅
*प्रणय प्रभात*
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପୁରୁଷୋତ୍ତମ ଶ୍ରୀରାମ
ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପୁରୁଷୋତ୍ତମ ଶ୍ରୀରାମ
Bidyadhar Mantry
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
VINOD CHAUHAN
नारी तेरा रूप निराला
नारी तेरा रूप निराला
Anil chobisa
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
Buddha Prakash
मुद्दा
मुद्दा
Paras Mishra
*आबादी कैसे रुके, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
*आबादी कैसे रुके, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
23/122.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/122.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
Dr fauzia Naseem shad
*सेब का बंटवारा*
*सेब का बंटवारा*
Dushyant Kumar
हमारी आजादी हमारा गणतन्त्र : ताल-बेताल / MUSAFIR BAITHA
हमारी आजादी हमारा गणतन्त्र : ताल-बेताल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
sushil sarna
प्रदूषन
प्रदूषन
Bodhisatva kastooriya
नसीब
नसीब
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"नेमतें"
Dr. Kishan tandon kranti
ముందుకు సాగిపో..
ముందుకు సాగిపో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
** बहाना ढूंढता है **
** बहाना ढूंढता है **
surenderpal vaidya
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...