क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम !
केवल आज़ादी का जश्न ही नहीं,
शहीद-ए-वतन का सौगंध है
बहाया जो लहू का हरेक कतरा उसने,
उस बेमिशाल कुर्बानी के कर्ज़दार हैं हम!
विरासत की ये माटी और,
लहराते तिरंगे की शान हैं हम!
अपनी मातृभूमि का अभिमान हैं हम!
क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम !
वो दरिंदे हमारे निहत्थे जवानों को,
नोच-नोच कर खाते हैं…..
मगर अपनी बारी में हम
उनके शरीर को स-सम्मान लौटाते हैं!
ऐसी मानवता का निर्माण हैं हम!
क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम !
बड़ों का सिर झुकाकर आदर करना,
छोटे को प्रेमभाव से आशीष देना…
जहाँ कोई राजा और कोई फ़कीर ना हो!
चाहे भगवान कृष्णा हो या फिर हो सुदामा
मगर मित्रता और प्रेम में कोई फर्क ना हो!
ऐसी संस्कीर्ति की पहचान हैं हम!
सर्वप्रथम समृद्ध सभ्यता का वरदान हैं हम!
क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम!
बनी यहां विश्वप्रसिद्ध मंदिर,
तो कहीं खड़ी गुरुद्वारे की दीवार है !
मानते हैं हम होली, दीपावली
तो रमजान भी हमारा ही त्योहार है!
दिलों में वसुधैव कुटुंबकम का अरमान लिए,
समस्त भारतवासी एक परिवार हैं हम!
विविधता में एकता की निशान हैं हम!
क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम!
! ! हिंदुस्तान हैं हम ! !
✍️पलक श्रेया