क्योंकि मै प्रेम करता हु – क्योंकि तुम प्रेम करती हो
हम दोनों को मिलते ही, क्यों अपनापन सा लगता है
दिवाना हो गया तेरा, दीवाना खुल के कहता है
अगर कुछ भी नही, एक दूसरे को चाहते हैं क्यूं
क्योंकि मै प्रेम करता हु – क्योंकि तुम प्रेम करती हो।
दूर जब – जब तुमसे होता, तड़पने दिल ये लगाता है
मिलन की आश में खोया, मेरा तन मन ये रहता है
हो ना तकलीफ कोई भी, फिक्र मुझको सताती क्यूं ।
क्योंकि मैं प्रेम करता हु………..
हमे अब नींद ना आती, ना रहता चैन एक पल भी
तेरे ही ख्वाब में खोया, मैं रह जाता हु हर पल ही
बिन तेरे हाल को जाने, रहा जाता ना बोलो क्यूं ।
क्योंकि तुम प्रेम…………
बनाओ ना बहाने अब, जो भी है साफ कह दो ना
अगर बढ़ना है आगे तो, ये मेरा हाथ धर लो ना
बताओ सच नहीं है ये, तो हम छुप – छुप के मिलते क्यूं।
क्योंकि मैं प्रेम ………
✍️ बसंत भगवान राय