क्योंकि तुम मेरे गुरुवर हो…
ज्ञान की गंगा
विचार प्रवाह
जिज्ञासापूरक
उत्साहवर्धक।
अप्राप्य के प्राप्य
जीवन प्रकाश स्तम्भ
अज्ञान संहारक
सत्य-असत्य शोधक।
अद्भुत प्रकाशपुंज
अज्ञान तमनाशक
विधि ज्ञानदाता
सर्वग्राही
सर्वज्ञ।
हे जगतश्रेष्ठ
तुम वंदनीय हो
पूजनीय हो
आराध्य हो
क्योंकि तुम मेरे
गुरुवर हो।
– सुशील कुमार ‘नवीन’
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद हैं।