क्यू हैं
ये आज ऐसे ये हालात क्यू है?
बिखरे बिखरे सवालात क्यू है?
क्यू सोचते है सिर्फ अपने लिये,
दिल मे ऐसे ये जज्बात क्यू है?
औलाद सुख देती नही है आजकल
हर दुख,सुख को देता मात क्यू है?
कोई नही किसी का इस जमाने मे
ये सोच कर दिल हताहत क्यू है?
कभी रौनक थी जिनसे आँगन मे
आज वो रूठे हुये नग्मात क्यू है?
सुरिंदर कौर