Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2020 · 1 min read

क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं

क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं
मैं तो वो हूं जो तनहाई में भी जाने क्या क्या बकती हूॅं

क्या आसान रास्ते से मिली थी मैं तुमको उस पहले दिन
जाने भी दो कोई नई … अब खुद को मुश्किल करती हूॅं।

अच्छा सुनो उस दिन गिरा था पेशानी पे जो इक बोसा
रूह की प्यास बुझी थी लेकिन बदन पे साकित करती हूॅं।

उस मिट्टी की क्या बात कहूं “पुर्दिल” नाम ए – यार से जो महकती है
उसके यादों के कफ़न तले ही चलो उस मिट्टी को मिट्टी मैं करती हूॅं।

~ सिद्धार्थ

साकित : मौन

Language: Hindi
2 Likes · 382 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उसने पहाड़ होना चुना था
उसने पहाड़ होना चुना था
पूर्वार्थ
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
है बुद्ध कहाँ हो लौट आओ
है बुद्ध कहाँ हो लौट आओ
VINOD CHAUHAN
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
शेखर सिंह
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ख़ुद हार कर भी जीत जाते हैं मुहब्बत में लोग,
ख़ुद हार कर भी जीत जाते हैं मुहब्बत में लोग,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
शिकारी संस्कृति के
शिकारी संस्कृति के
Sanjay ' शून्य'
* सामने बात आकर *
* सामने बात आकर *
surenderpal vaidya
"रहस्यमयी"
Dr. Kishan tandon kranti
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
एक क़ता ,,,,
एक क़ता ,,,,
Neelofar Khan
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
आकांक्षा पत्रिका 2024 की समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका 2024 की समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रभु श्री राम
प्रभु श्री राम
Mamta Singh Devaa
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
Dr. Man Mohan Krishna
सुनो
सुनो
shabina. Naaz
नटखट-चुलबुल चिड़िया।
नटखट-चुलबुल चिड़िया।
Vedha Singh
24/230. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/230. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वर्तमान लोकतंत्र
वर्तमान लोकतंत्र
Shyam Sundar Subramanian
स्त्री
स्त्री
Dr fauzia Naseem shad
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
Sonam Puneet Dubey
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्सएप युग का प्रेम
Shaily
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
शीतलहर
शीतलहर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
..
..
*प्रणय*
Loading...