Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2020 · 1 min read

क्यूँ मेरे हमसफ़र नहीं आते

ज़िद है कैसी इधर नहीं आते
क्यूँ मेरे हमसफ़र नहीं आते

क्या करें उस जगह ठहरकर हम
जिस जगह वो नज़र नहीं आते

उनके वादे पे क्या भरोसा हो
बोल जाते हैं पर नहीं आते

रोज़ मिलते थे बात होती थी
अब वो शामो-सहर नहीं आते

बस मुक़द्दर से ये शिकायत है
ग़म कभी मुख़्तसर नहीं आते

अब दुआ की हमें ज़रूरत है
अब दवा के असर नहीं आते

उनको ‘भूला’ जहान कहता जो
लौटकर शाम घर नहीं आते

हर जगह बन गये मकां ही मकां
अब नज़र में शजर नहीं आते

उनसे ‘आनन्द’ गर मुहब्बत है
उनसे क्यों बोलकर नहीं आते

– डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 1 Comment · 191 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विषय :- मीत
विषय :- मीत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
Keshav kishor Kumar
हर पल तेरी याद
हर पल तेरी याद
Surinder blackpen
रमन्ते सर्वत्र इति रामः
रमन्ते सर्वत्र इति रामः
मनोज कर्ण
पंडित आदमी हूं इसके अतिरिक्त हिन्दी मिडियम के बच्चों को अंग्
पंडित आदमी हूं इसके अतिरिक्त हिन्दी मिडियम के बच्चों को अंग्
Sachin Mishra
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
मोरनी जैसी चाल
मोरनी जैसी चाल
Dr. Vaishali Verma
तुम अपने माता से,
तुम अपने माता से,
Bindesh kumar jha
सुख भी चुभते हैं कभी, दुखते सदा न दर्द।
सुख भी चुभते हैं कभी, दुखते सदा न दर्द।
डॉ.सीमा अग्रवाल
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
शेखर सिंह
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
दीवाना - सा लगता है
दीवाना - सा लगता है
Madhuyanka Raj
*बस याद ही रह जाएगी*
*बस याद ही रह जाएगी*
Sunil Gupta
■ आज का क़तआ (मुक्तक)
■ आज का क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय*
कहा जाता है
कहा जाता है
हिमांशु Kulshrestha
"किसी दिन"
Dr. Kishan tandon kranti
अफसाना किसी का
अफसाना किसी का
surenderpal vaidya
नशा के मकड़जाल  में फंस कर अब
नशा के मकड़जाल में फंस कर अब
Paras Nath Jha
Cottage house
Cottage house
Otteri Selvakumar
सबने हाथ भी छोड़ दिया
सबने हाथ भी छोड़ दिया
Shweta Soni
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
पूर्वार्थ
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
Lohit Tamta
तेरी पनाह.....!
तेरी पनाह.....!
VEDANTA PATEL
*माँ सरस्वती जी*
*माँ सरस्वती जी*
Rituraj shivem verma
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बाबा भीम आये हैं
बाबा भीम आये हैं
gurudeenverma198
शीर्षक:-मित्र वही है
शीर्षक:-मित्र वही है
राधेश्याम "रागी"
3246.*पूर्णिका*
3246.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ख़ैर कुछ और दिन लगेंगे तुमसे कुछ कहने को,
ख़ैर कुछ और दिन लगेंगे तुमसे कुछ कहने को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...