क्या हो तुम मेरे लिए (कविता)
क्या हो तुम मेरे लिए
काश मैं कर पाती
मेरी भावनाओं का अनुवाद
मेरे दिल में छुपे एहसास
जो हो पाते कभी बया
की क्या हो तुम मेरे लिए
वो रिश्ता जिसकी इबादत होती है
या वो नूर जो आंखों से बरसता है
या फिर कहूं
वह प्यार भरा ममत्व का एहसास
या फिर कहूं वह ममता का आंचल
जो करती है तमन्ना सिर्फ तेरे लिए
या फिर कहूं
एक पवित्र रिश्ता
जिनकी डोर से बंधे हैं हम
जो पावन पतित सलोना है
जिसको कहते हैं गहना दोस्ती का
काश कि मैं बयां कर पाती
आखिर क्या हो तुम मेरे लिए
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