क्या होगा
फरेब कर के भी तुम पाक रहोगे इस जहां में
पर खयाल रहे एक दिन रब से सामना होगा,
तुम खुद ही खुदा की गजल हो और क्या कहूँ
तुमसे प्यार इस जहां में और क्या होगा,
तुमसे मिल के भी जिसकी प्यास न मिटे
मेरे दोस्त वो शख्स किसी और का क्या होगा,
तुम्हें मिले वो सब कुछ जो तेरी हसरत है
मेरी छोड़ मेरा क्या हुआ था और क्या होगा,
मेरा साथ अब उन्हें अनबी सा लगता है
यकीनन उनका कोई दोस्त नया होगा,
उसने पढ़ी है मेरी गजल किसी और के मक्ते में
वो तब से खफा है वो नये नाम से जल गया होगा,