***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
*************************
क्या है उनकी भला मजबूरियाँ,
बढ़ती जा रहीं हैँ बहुत दूरियाँ।
कोई ना कोई वो बहाना बनाए,
काम ना आ रही जी हुजूरियाँ।
दिल की बातें जुबां पर न आए,
ऐसी भी क्या हो गई दुश्वारियाँ।
वो क्या जाने कैसे कटते हैँ दिन,
नाईलाज लग रहीं हैँ बीमारियाँ।
सूरत ए हाल बेबस है मनसीरत,
बुरी बड़ी हैँ इश्क की खुमारियाँ।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)