क्या हैं पैसा ?
दुनिया में सबुकछ
पैसा हैं पैसा
जाता भी यूँही
आया हैं जैसा
ऐसा नहीं हैं की
पैसा कम हैं
मगर चाहत
बेसुमार हैं
पैसो के पीछे
दुनिया हैं सारी
रिश्ते नाते प्यार
वफ़ा से भी भारी
क्या हैं पैसा ?
क्यों हैं ऐसा ?
जैसा भी हैं मगर
सबको हैं प्यारा
पैसा कितना भी कमावो
खरीद सकोगे सुकून ?
वो सब खुशियों के मेले
भीड़ में भी होंगे बिलकुल अकेले