Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2022 · 1 min read

क्या हम सच में आज़ाद है ?

हमें अभी भी बहुत सी चीजों से आज़ादी चाहिए। किसी को गरीबी से , किसी को बेरोजगारी से , किसी को तनाव से , किसी को नौकरी से , किसी को परिवार से , किसी को बुरी आदतों से , किसी को नशा से , किसी को काम से तो किसी को इस जिंदगी से। आज़ादी के बहुत सारे मायने है और हर व्यक्ति के लिए ये अलग अलग है।

Language: Hindi
1 Like · 132 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा
मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सत्याग्रह और उग्रता
सत्याग्रह और उग्रता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यह तो अब तुम ही जानो
यह तो अब तुम ही जानो
gurudeenverma198
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏🙏
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कौन हूँ मैं ?
कौन हूँ मैं ?
पूनम झा 'प्रथमा'
कुछ बूँद हिचकियाँ मिला दे
कुछ बूँद हिचकियाँ मिला दे
शेखर सिंह
मेहनतकश अवाम
मेहनतकश अवाम
Shekhar Chandra Mitra
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
पूर्वार्थ
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
💐प्रेम कौतुक-516💐
💐प्रेम कौतुक-516💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज़ाद जयंती
आज़ाद जयंती
Satish Srijan
*शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्ति  भर्वे भवे।*
*शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्ति भर्वे भवे।*
Shashi kala vyas
इक क़तरा की आस है
इक क़तरा की आस है
kumar Deepak "Mani"
सब कुछ खत्म नहीं होता
सब कुछ खत्म नहीं होता
Dr. Rajeev Jain
कौन करता है आजकल जज्बाती इश्क,
कौन करता है आजकल जज्बाती इश्क,
डी. के. निवातिया
संतुलित रखो जगदीश
संतुलित रखो जगदीश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
करन ''केसरा''
मैं कभी तुमको
मैं कभी तुमको
Dr fauzia Naseem shad
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
VEDANTA PATEL
रार बढ़े तकरार हो,
रार बढ़े तकरार हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खुशबू चमन की।
खुशबू चमन की।
Taj Mohammad
ऐसे जीना जिंदगी,
ऐसे जीना जिंदगी,
sushil sarna
23/83.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/83.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"किसी के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
पागलपन
पागलपन
भरत कुमार सोलंकी
जो ज़िम्मेदारियों से बंधे होते हैं
जो ज़िम्मेदारियों से बंधे होते हैं
Paras Nath Jha
*दादाजी (बाल कविता)*
*दादाजी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
Shweta Soni
Loading...