क्या सोच कर तुम,नए मोड़ पर आ गयी…
क्या सोच कर तुम,नए मोड़ पर आ गयी।
कहा से चले और कहा आ गयी,
नाव कब का ओ किनारा छोड़ बढ़ने लगी थी,
फिर से कैसे तुम्हे ,हमारी याद आ गयी।
(अवनीश कुमार)
क्या सोच कर तुम,नए मोड़ पर आ गयी।
कहा से चले और कहा आ गयी,
नाव कब का ओ किनारा छोड़ बढ़ने लगी थी,
फिर से कैसे तुम्हे ,हमारी याद आ गयी।
(अवनीश कुमार)