क्या सिर्फ़ छू सकता वही आसमान है?
क्या सिर्फ़ छू सकता वही आसमान है?
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सुधी पाठकों का प्यार जिसने पा लिया ,
उसने मानो नया इक संसार बना लिया !
उसकी बयानबाजी से क्या फ़र्क पड़ता?
जिसने खुद को ही गुनहगार बना लिया !!
कोई भी बातें सोच-समझकर ही की जाती ,
जुबां से निकली बातें वापस तो नहीं आती !
खुद की प्रशंसा के पूल न कभी बांधी जाती ,
इससे किसी का स्तर सदा गिरती ही जाती !!
सबको यह क्यों लगता है कि वही महान है?
क्या सदैव सिर्फ़ छू सकता वही आसमान है?
जो घमंड में चूर है उसकी दुनिया सुनसान है ,
उसकी अटपटी बातें सुनके यहाॅं सब हैरान है !!
बचपन से लेकर अभी तक हमने यही देखा है ,
घमंडी मनुष्य रेस में तनिक टिक नहीं सका है ,
जिसका सिर्फ़ अपने काम पे ही ध्यान टिका है ,
उसने ही जीवन में अपना नाम रौशन किया है !!
खुद का मूल्यांकन कोई और जब किया करते हैं !
तो खूबियों,खामियों का भी ध्यान वे रखा करते हैं !
फिर खुद पे कोई इतना भरोसा कैसे किया करते हैं!
कि सामने वाले उन्हें चरणों की धूल नज़र आते हैं !!
क्यों नहीं वे औरों पे भी कुछ भरोसा किया करते हैं?
क्यों नहीं वे इक खुशहाल जीवन का आनंद लेते हैं??
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 02 अक्टूबर, 2021.
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