क्या सम्मान करते,,,
क्या सम्मान करते वो,, जो ध्वज को ध्वस्त करते हैं।
मेरे मंदिर की महिमा को,, किले चढ़ नष्ट करते हैं।
कभी सोचा था ऐसे भी होते कुछ लोग हैं जग में,,
फिर पाया कि अपनों को अपने ही भ्रष्ट करते हैं।।
———–भविष्य………
क्या सम्मान करते वो,, जो ध्वज को ध्वस्त करते हैं।
मेरे मंदिर की महिमा को,, किले चढ़ नष्ट करते हैं।
कभी सोचा था ऐसे भी होते कुछ लोग हैं जग में,,
फिर पाया कि अपनों को अपने ही भ्रष्ट करते हैं।।
———–भविष्य………