क्या सच में हम स्वतंत्र हुए?
क्या सच में हम स्वतंत्र हुए,
या देश में ही परतंत्र हुए,,,?
वही व्यवस्था आज भी है,
पूँजीपतियों का राज भी है,
शोषण था गलत या अंग्रेज़ गलत थे,
सूरज था नया या नए फलक थे,
बतलाये कोई जो आज नया है,
कहता है कौन एहसास नया है,
कोई एक नही है भ्रष्ट यहाँ,
भ्रष्टाचारी सब तंत्र हुए,,,,
क्या सच में हम स्वतंत्र हुए,
या देश में ही परतंत्र हुए,,,?
बदला है समय सत्ता बदली,
पर शोषण आज भी जारी है,
हिंसा अपने चरम पे है,
असुरक्षित यहां पे नारी है,
मार्क्सवाद है फासीवाद भी,
हिटलर कितने मनमाने है,
भ्रष्टाचार था पहले भी,
और आज भी सीना ताने है,
नही रहे अब वैदिक मंत्र,
हैं भ्रष्टाचार के मंत्र नए,,,,
क्या सच में हम स्वतंत्र हुए,
या देश में ही परतंत्र हुए,,,?