क्या लिखू मैं
क्या लिखू मैं?
हाँ, मेरा पहला सवाल
दोस्तो ने बोला, भाईयो ने बोला
घर परिवार सब ने बोला
आज सोचा चलो उठा लो कलम
फिर सोचा क्या लिखू मैं?
हर बार यही सोच सोच कर मैं
रुक जाती
क्या लिखू मैं?
सोचा ये लिखू फिर सोचा नही वो लिखू
ऐसा क्या लिखू जो सही लगे
किसी के दुखते नश पे कलम ना चल जाए
उठ तो चुके है कलम, पर सोचा
क्या लिखू मैं?
उठा लिया है कलम फिर से लिख बैठने को
देखे दुनिया के खेल तमाशे
इन तमाशो को हम भी जाने, फिर सोचू
क्या लिखू मैं
कहीं हो रहा है भ्रष्टाचार
कही मचा है हाहाकार
कही कोई भूख से तड़पे
कही मची है लूट खसोट
क्या लिखू मैं?