क्या लिखूं तेरे लिए
लिखना होता तो मैं उसकी सांसे लिखता ,
मैंने तो लिखना ही छोड़ दिया , वरना किताबे लिख देता ,
लेकिन शामिल था उसका हर वह रंग जिसमे मैं बसा था ,
वरना मैं तो लिखते लिखते एक लाइब्रेरी बना देता ,
यू छोड़ गया तन्हा मेरे हर दर्द के शब्द को ,
वरना उसकी यादों में मैं तो यूनिवर्सिटी बना देता ।।