क्या लिखूँ …?
क्या लिखूँँ ?
सच कि झूठ ?
झूठ –
मीठी चाशनी जैसा –
लुभावना ,
कर्णप्रिय
मन को भाता है ;
और सच –
कल्पना से परे –
प्रलोभनरहित –
भूत ,
भविष्य ,
वर्तमान
की तस्वीर उकेरता –
हकीकत से हमें
रूबरू कराता है ।
(मोहिनी तिवारी)
क्या लिखूँँ ?
सच कि झूठ ?
झूठ –
मीठी चाशनी जैसा –
लुभावना ,
कर्णप्रिय
मन को भाता है ;
और सच –
कल्पना से परे –
प्रलोभनरहित –
भूत ,
भविष्य ,
वर्तमान
की तस्वीर उकेरता –
हकीकत से हमें
रूबरू कराता है ।
(मोहिनी तिवारी)