क्या लिखूँ तेरे बारे में
क्या लिखूं तेरे बारे में।
तू रोशनी की किरण हैं मेरे जीवन अंधियारे में।।
न जाने क्या रिश्ता है तेरा – मेरा,
एक मुश्कान सी रहती है मेरे मन के गलियारे में।
तेरा मुझसे खफ़ा होना , डाँटना मानो भँवर में कश्ती मेरी,
फिर तेरे दुलार और प्यार से लग जाये कश्ती मेरी किनारे में।।
हाँ अहसास है दिल जताता भी है फिक्रमंद होना तेरा,
जगमगाहट जो तुझसे है वो कँहा चाँद – सितारे में।।
हमको भी प्यार है तुमसे, तुम पर ऐतबार भी है,
बस यूं ही कट जाए जिंदगी का सफर तेरे सहारे में।।
मेरा जो आज है, जिस पर मुझे नाज है,
मिलता कँहा है रिश्ता ऐसा, खुदा को पुकारे में।।
हम भी तेरी खुशी के तलबगारों में शामिल हैं ” भानुप्रिये ”
लबों पर मुस्कुराहट तेरी , ऐसा सुकूँ कँहा किसी नजारे में।
क्या लिखूं तेरे बारे में,
तू रोशनी की किरण है मेरे जीवन अंधियारे में।।
✍️ देवेंद्र