क्या रावण अभी भी जिन्दा है
अपने पद और प्रतिष्ठा को बचाने में
जो रहता है हर हमेशा सत्ता में चूर
दंभ से सदैव ही चमकता रहता है
जिनके पाखंडी हॅंसते चेहरे में नूर
पर स्त्री गमन से जिनका हो नाता
भ्रष्ट्राचार का भी जो हो बड़ा ज्ञाता
सोने की लंका पर अपना अधिकार
हर युग में वह किसी तरह पा जाता
जिनके नाम के आतंक मात्र से ही
आतंकित हो जाता हो चारों प्रहर
देवों का वरदान समझ कर हमेशा
चाहता जो इंद्रासन तक का सफर
हर युग में ही अमरता का वरदान
सहज रुप से पाने को छटपटाता है
ध्यान से देखो अगर तो हर युग में
रावण फिर से जिंदा होकर आता है
सबसे छुप छुप कर ही क्यों न सही
वह किसी न किसी बाग में खिलेगा
ध्यान लगाकर ढ़ुंढ़ने पर निश्चित ही
रावण दुनिया के हर भाग में मिलेगा
हर प्रकार की बुराई का प्रतीक बनकर
अपनी ही नजरों में आज भी है बड़ा
और अभी भी उसमें घमंड इतना है कि
दहन के समय भी रहता तनकर खड़ा
इसलिए सबसे पहले तो मन के अन्दर
पल रहे उस अहंकारी रावण को मारो
तब सब एक साथ उछल उछल कर
पुतले के बने निर्जीव रावण को जारो