*”*क्या? यह मुमकिन है।*”*
****क्या? यह मुमकिन है****
जमाना चल रहा है, और चलता ही रहेगा।
मैं चाहूं मेरे हिसाब से।
क्या? यह मुमकिन है।।
आज मैंने कहा ,कल कोई और कहेगा।
चलो चलो जैसा मै कहूं वैसा करो।
क्या ?यह मुमकिन है।
चाहता हूं मैं न कोई विवाद हो।
सौहार्द सादगी से भरा संवाद हो।।
दिलों में सबके, सबके प्रति।
चिंतन मनन निर्विवाद हो।
क्या ?यह मुमकिन है।
सोचता हूं जगत में है कोटि जन।
मिल जाए सबका ही मन।
मानवता से बड़ा न कोई धन।
बीते मिलजुल यह जीवन ।
क्या ?यह मुमकिन है।
चलो जाने दो, नेह हमें बरसाने दो।
चलना चाहे साथ हमारे,उसे आने दो।
गीत समरसता के उनको गाने दो।
विचार हमारे उत्तम,जो अपनाए,अपनाने दो।
सबके लिए न सही,किसी किसी के लिए तो।
जी हां, जी हां,यह मुमकिन है।
राजेश व्यास अनुनय