क्या यही महोब्बत है ___ कविता
दर्द उनका और पीड़ा मुझको होती है।
****क्या यही महोब्बत होती है****
दीदार होंगे कब __ सुबह से ही सोचने लगते।
उनकी चौखट के इर्द गिर्द उन्हे खोजने भगते।।
****क्या यही महोब्बत होती है****
एक झलक दिख जाए_ दिल सुख पाए।
जब तक न हो दीदार_ वहीं कदम रुक जाए।।
****क्या यही महोब्बत होती है****
चेहरे को चेहरा पड़े __ धीरे _ धीरे बात बड़े।
देखे सपने बड़े _ बड़े_ खुमार ही ऐसा चढ़े।।
****क्या यही महोब्बत होती है****
इक दिन ऐसा भी आता है_नाता गहरा जुड़ जाता है।
खुशियां लाखो लाता है_साथ दोनो को भाता है।।
****क्या यही महोब्बत है****
राजेश व्यास अनुनय