क्या यही तुम्हारा प्यार प्रिये
क्या यही तुम्हारा प्यार प्रिये
जिस पर मैं बलि बलि जाती हूँ ?
तुमको आना है जिस पथ से,
उस पथ पर नयन बिछाती हूँ ।
तुम भिन्न नहीं जब मेरे से
भिन्नता कैसे सह पाऊँगी ?
होकर के तुमसे विलग प्रिये
खुद को वंचित सी पाऊँगी।
मेरे मन मन्दिर की थाती
सौभाग्य मेरा बस तुम ही हो ।
मेरे आकुल प्यासे मन की
स्वाँति बूँद बस एक तुम हो।