क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
इन खामोशियों में बाबा तेरा ही सहारा है
खता बस इतनी के तेरे आंगन की कली हूं मैं
लो आज ज़ालिमो ने मुझको वे मौत मारा है
Phool gufran
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
इन खामोशियों में बाबा तेरा ही सहारा है
खता बस इतनी के तेरे आंगन की कली हूं मैं
लो आज ज़ालिमो ने मुझको वे मौत मारा है
Phool gufran