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24 Jun 2021 · 1 min read

क्या मिलेगा

पत्थरों पर सिर पटककर क्या मिलेगा
बेसुध पड़े लोगों से तुमको क्या मिलेगा
ज़िंदगी जीवित भी है या मर चुकी
दूसरों को यह बताकर क्या मिलेगा?
मिल गये दीवार तुमको चार जब अंदर रहो
बेवजह बाहर निकलकर क्या मिलेगा
रोटियाँ तो घर के अंदर ही पकेंगी
सड़क पर यूँ ही भटककर क्या मिलेगा?
गुनगुनाओ गीत कुछ झूमो जरा
प्रीत की गंगा हृदय में आ बसेगी
भावनाओं की यहाँ लगती है बोली
अश्रु की गंगा बहाकर क्या मिलेगा?
इस जगत में अकड़कर जीना ही होगा
लोग की बातें तो बस बातें रहेंगी
अपनी धुन में मस्त रहकर गीत गाओ
मुस्कुराओ यार मेरे सब मिलेगा।
मुस्कुराओ यार मेरे सब मिलेगा।
–अनिल मिश्र,’अनिरुध्द’

Language: Hindi
373 Views
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