क्या मिलेगा आपको तकरार से
देखना है देखिए जी प्यार से //
क्या मिलेगा आपको तकरार से //१
खून ही दुश्मन बना है खून का,
क्या शिकायत अब करूँ संसार से //२
दल-बदल करता है जो भी स्वार्थ बस,
मांगता है वोट किस अधिकार से //३
प्यार तो करता हूँ बेशक आपसे,
डर रहा हूँ सिर्फ मैं इजहार से //४
झूठ लगती हर खबर पढ़ कर मुझे,
उठ गया विश्वास अब अख़बार से //५
संगमरमर सा बदन मुख चांँद सा,
भोर की लाली दिखे रुखसार से //६
जेब खाली है मगर बेगम कहें,
ओठलाली लाइए बाजार से //७
प्रेम की भाषा कोई समझे नहीं,
भूत भी डरता अगर तो मार से।
मिट गया जो भी जुदा जड़ से हुआ,
जुड़ के रहना ‘सूर्य’ तुम आधार से //९
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464