क्या मिला
ओह नादान ज़िंदगी , ज़रा अपना हाल तो देख
कितना कुछ छूट गया पीछे ,
कितना बाकी है अभी
बचपन की किलकारियां, जवानी की मुस्कुराहटें
अधेड़ उम्र का अनुभव
झोली भर अहसास, अपनों का विशवास
रिश्तों में कुछ खास
कुछ जुटा पायी भी क्या तू ?
या खो दिया सब कुछ
खुद को ढूंढ़ते हुए
क्या मिला ???
खाली वजूद को ढ़ोते हुए…….