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30 Jan 2018 · 1 min read

क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की

नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो
नापने को कह रहे हमसे वो दूरियाँ आकाश की

आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में
दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की

बँट गयी सारी जमी ,फिर बँट गया ये आसमान
क्यों आज फिर हम बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की

इस कदर भटकें हैं युबा आज के इस दौर में
खोजने से मिलती नहीं अब गोलियां सल्फ़ास की

हर जगह महफ़िल सजी पर दर्द भी मिल जायेगा
अब हर कोई कहने लगा है आरजू बनवास की

मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की

क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की
मदन मोहन सक्सेना

Language: Hindi
445 Views
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