क्या बात
क्या क्या नहीं सोचा था,
पर हुआ ना जाने क्या क्या।।
ना जाने क्या क्या होना अभी बाकी है,
अभी तो सिर्फ टूटे है, बिखर जाना हमारा बाकी है।।
एक बार में तो हर कोई मर जाता है,
कोई रोज़ रोज़ मर कर जीये तो क्या बात है।।
हमने भी सजाए थे सपने साथ जीने के,
पर उनके टूटने का इल्ज़ाम जब आप पर आए तो क्या बात है।।