क्या बात है जो बताते नहीं हो
ग़ज़ल(122 122 122 122)
ये क्या बात है जो बताते नहीं हो।
कभी तुम मेंरे पास आते नहीं हो।
लबों पर हँसी रोज रहता तुम्हारे,
मुझे देखकर मुस्कुराते नहीं हो।
नयन से मुहब्बत झलकता तुम्हारे,
मुहब्बत सही से जताते नहीं हो।
अगर चाहते हो अजी दिल लगाना,
खुशी से कभी दिल लगाते नहीं हो।
गली रोज मेरे चले आ रहे हो,
दरस हुस्न का तुम कराते नहीं हो।