Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2020 · 1 min read

क्या बात है जो बताते नहीं हो

ग़ज़ल(122 122 122 122)

ये क्या बात है जो बताते नहीं हो।
कभी तुम मेंरे पास आते नहीं हो।

लबों पर हँसी रोज रहता तुम्हारे,
मुझे देखकर मुस्कुराते नहीं हो।

नयन से मुहब्बत झलकता तुम्हारे,
मुहब्बत सही से जताते नहीं हो।

अगर चाहते हो अजी दिल लगाना,
खुशी से कभी दिल लगाते नहीं हो।

गली रोज मेरे चले आ रहे हो,
दरस हुस्न का तुम कराते नहीं हो।

5 Likes · 236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
पुण्य स्मरण: 18 जून 2008 को मुरादाबाद में आयोजित पारिवारिक समारोह में पढ़ी गईं दो
पुण्य स्मरण: 18 जून 2008 को मुरादाबाद में आयोजित पारिवारिक समारोह में पढ़ी गईं दो
Ravi Prakash
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव दोनों आवश्यक है वो इसलिए क्योंकि
अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव दोनों आवश्यक है वो इसलिए क्योंकि
ललकार भारद्वाज
बहुत फर्क  पड़ता  है यूँ जीने में।
बहुत फर्क पड़ता है यूँ जीने में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कहा कृष्ण ने -
कहा कृष्ण ने -
महेश चन्द्र त्रिपाठी
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
शेखर सिंह
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
सत्य कुमार प्रेमी
*
*"मुस्कराहट"*
Shashi kala vyas
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
DrLakshman Jha Parimal
संवेदना
संवेदना
Ekta chitrangini
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"शुक्रिया अदा कर देते हैं लोग"
Ajit Kumar "Karn"
*तू ही  पूजा  तू ही खुदा*
*तू ही पूजा तू ही खुदा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सत्य खोज लिया है जब
सत्य खोज लिया है जब
Buddha Prakash
****वो जीवन मिले****
****वो जीवन मिले****
Kavita Chouhan
पिछले पन्ने 8
पिछले पन्ने 8
Paras Nath Jha
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
..
..
*प्रणय*
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
धीरे-धीरे क्यों बढ़ जाती हैं अपनों से दूरी
धीरे-धीरे क्यों बढ़ जाती हैं अपनों से दूरी
पूर्वार्थ
4676.*पूर्णिका*
4676.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दीप जलते रहें - दीपक नीलपदम्
दीप जलते रहें - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
Ravikesh Jha
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
कुछ बच्चों के परीक्षा परिणाम आने वाले है
कुछ बच्चों के परीक्षा परिणाम आने वाले है
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुम अभी आना नहीं।
तुम अभी आना नहीं।
Taj Mohammad
Loading...