क्या पता?
जिंदगी से लड़ रहे जो
कर्म से हर दफा ।
हार हो या जीत हो
कल का क्या पता ।।1।।
दूरियां दूरियों से दूर है
मंजिल भी लापता ।
आज जितने दूर हो
कल का क्या पता ।।2।।
खुद से लड़ रहे हैं खुद
खुद का क्या पता ।
आज घर हो ना हो
कल का क्या पता ।।3।।
रिश्तो का तुम साथ दो
वक्त का क्या पता ।
आज तुम्हारे साथ है
कल का क्या पता ।।4।।
समर्पण ही प्रेम है
मिले ना मिले इसकी रजा ।
आज हम तेरे हैं
कल का क्या पता ।।5।।
श्रृंगार भी एक रूप है
भाग्य का क्या पता ।
आज मित्र–मित्र है
कल का क्या पता।।6।।