“क्या देश आजाद है?”
देश मे अगर नारी बेआबरु नाशाद है,
दिल पर रखकर हाथ कहिये क्या देश आजाद है।
बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ का लगाते हैं नारा,
खुद गला घोटते हैं क्या देश आजाद है।
जो उलझ कर रह गई फ़ाइलों के हाथ मे,
दिल पर रखकर हाथ कहिये क्या देश आजाद है।
कितने कोठी में रहे कितने पड़े फुटपाथ पर ,
कितने खाये दूध ,मिठाई कितने फैलाये हाथ को।
जो मिटा अब तक न पाया भूख के अवसाद को,
दिल पर रखकर हाथ कहिये क्या देश आजाद है।
क्या वो दिन भूल गए ,
झांसी की रानी ने ली थी तलवार।
नारी ने भी पीर सही थी ,आजादी दिलवाने में,
तार तार वो हो गई थी ,देश हुआ सितार।
आज उसी को कोख में मारते ,
हाथ खून से लथपथ आज है,
हर संघर्षों में डटी रही वो ,देश मे उनका भाग है,
तुमसे वो आगे है ,फिर क्यों बेड़ी डाले आज हो।
आंखे खोलो आज भी ,किस बात का करता नाज है,
दिल पर रखकर हाथ कहिये क्या देश आजाद है।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️