क्या दिन है क्या रात।
टूट गया आँखों का ख्वाब।
अब क्या दिन है क्या रात।।1।।
क्षीण हुई हृदय की शक्ति।
ना रही भगवान में भक्ति।।2।।
जीवन का यह कैसा क्षण।
जैसे हो यह युद्ध का रण।।3।।
सासे है यह उखड़ी-उखड़ी।
जैसैहो बिन जलकी मछली।।4।।
झूठी आशा मिली है कैसी।
आंखे देखो दर्श को तरसी।।5।।
मेघ भी है कब से ना बरसे।
पेड़-पौधे है जल को तरसे।।6।।
अब ना रहा किसी का भय।
बोलो भारत माता की जय।।7।।
खुद की कस्तूरी को तरसी।
देखो मृग की तृष्णा कैसी।।8।।
सबरी के है मन के श्री राम।
मीरा की भक्ति के घनश्याम।।9।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ