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28 Jan 2021 · 2 min read

क्या था वह ?

दिनांक :- 19/12/2020
दिवस :- शनिवार
विषय :- क्या था वह ?

क्या बताऊं , क्या था वह ? कोई खास नहीं, खाने की वस्तु ही जिसे कितनें वर्षों से चाहकर भी खाएं नहीं थें, वह इस कोरोना काल में इच्छा पूर्ण हुई , वह भी अपने दोस्त मोनू के साथ ,कब तो वह भी जान लीजिए , लिलुआ मीरपाड़ा में पुस्तक मेला लगी हुई रहीं , भाई मोनू को सी ए फाउंडेशन में नामांकन करवाना रहा , गये हावड़ा के लिलुआ में बिमल भईया के पास कंप्यूटर से फार्म भरे नौ हज़ार चार सौ पचास रुपए लगे मोनू कुल दस हज़ार रुपये लाएं रहें, मोनू क्या खुश रहा , बोला बोलिए भईया क्या खायेगा , हम भी कुछ इसी तरह इशारा किए कि उजला उजला क्या बेचता है वहां …. , जो कि हम नाम जानते रहे अपनी इच्छा यूं ही उसके समक्ष रखें बोले कितने बार हम दुकान पर गये पर वह हम आज तक नहीं खा पाएं मोनू बोला आज हम आपको खिलाकर रहेंगे , गये वहां दुकान बंद रही ,हम बोले देखा मोनू यही है क़िस्मत, मोनू फिर भी खुश रहा बोला आज हम खिलाकर ही रहेंगे , रवीन्द्र सरणी रोड राजू फास्ट फूड सेंटर में गया ऑर्डर किया पांच पांच पीस दिया ,मोनू को दांत में दर्द देता रहा पर खानें वक्त न जाने वह दर्द कहां चला गया , हद तो तब हो गयी जब हमें मोनू बताया भईया हम भी आज तक नहीं इसे नहीं खाएं किस तरह खाया जाता है , फिर क्या दोनों मुंह नीचे करके कड़वा लगने के बाद भी जल्दी जल्दी खानें लगें कहीं कोई देख न ले , अब आई पैसे देने की बारी वहां पर भी मोनू अपनी वाणिज्य विषय से अर्जित ज्ञान का उपयोग कर ही दिया , कुल साठ रुपए हुए रहें , मोनू पचास रुपए देकर बोला रोशन भईया आप दस रुपए दे दीजिए, मोनू दे सकता रहा उसके पास सौ रुपए की पांच नोटें थी , खैर कोई बात न हम भी खुशी के मारे दे दिए साथ ही दो मिठाई पॉल स्वीट्स से लिए और दोनों खाएं और मन ही मन हम सोचते रहें, क्या था वह , वह सभी के चिर परिचित मोमो आज मोनू के साथ खाकर मानों तो गंगा नहा लिए हम ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 18(49)

Language: Hindi
313 Views
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