ना तेरा है ना मेरा है
क्या राजा क्या रंक हर आदमी हैरान है,
जो जहां,जिस पद पर है वह वही परेशान है।
सोचते होंगे गरीब की अमीर बहुत खुशहाल है,
लेकिन ऐसा नहीं है भैया, वो तो और बेहाल हैं।
परम सुखी तो वह है जिसने किया संतोष है,
है कहां सुखी वह भी ,जो लालच में मदहोश है।
है मोह की नगरी ये, यहां इच्छाओं का बसेरा है,
सब कुछ,छूट जाएगा एक दिन”ना तेरा है ना मेरा” है।
मैं सबको प्रणाम करता, देता एक संदेश हुं,
करके रहे संतोष सभी, मैं वही कमलेश हूं।।
✍️ प्रजापति कमलेश बाबू ?
ग्राम-परसौनी बाजार,,
पोस्ट- धरमपुर
हाटा, कुशीनगर,,,,,,,,