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15 May 2022 · 1 min read

क्या तू वही काश्मीर है ?

क्या तू हमारा वही काश्मीर है ?
प्रश्न करते हुए दिल में उठती पीर है ।

हवाएं आज भी खुशनुमा, हसीन वादियां ,
मगर छुपी इसमें किसी आह की जंजीर है ।

मिट्टी में है वही खुशबू सोंधी सोंधी सी,
और जब गौर किया तो दिखी खून की लकीर है ।

आधिपत्य जमाया तुझपर एक ही जाति ने ,
और तू देखता रहा यही तेरी फूटी तकदीर है ।

लहू लुहान किया घर से बाहर किया पंडितों को ,
तेरी ही संतान थे वोह भी ,कुछ गलती इसमें तेरी है ।

धरती का स्वर्ग कैसे कहें अब हम तुझे ,
तू बन गया नर्क की जीती जागती तस्वीर है ।

हमने तेरा गोशा गोशा देखा तुझे निहारा भी ,
मगर माफ करना विश्वास नहीं होता यह मेरे ,
वही कश्मीर की सुन्दर तस्वीर है।

Language: Hindi
261 Views
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