क्या तुम इंसान हो ?
दुश्मनों से मिलकर साजिश कर ,
अपने देश से गद्दारी करते हो ।
आतंकवादियों से मिलकर ,
अपने पुराने मधुर संबंध भुलाकर ,
अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाते हो ,
उनका कत्ल करवाते हो ।
अपनी तंगदिली और घिसी पिटी,
मजहबी सोच के कारण ,
देश में दंगे फसाद भड़काते हो ।
क्या तुम्हारे खुदा ने तुम्हें यही सिखलाया है ?
धिक्कार है तुम पर इस पर भी ,
खुद को इंसान बतलाते हो ।