क्या गुजरती होगी उस दिल पर
क्या गुजरती होगी उस दिल पर
जिसने मुश्किल वक्त में अपना हाथ बड़ा साथ दिया
जिसने रिश्ते को संवार कर खूबसूरती से निभाया
जिसने जज़्बात को समझकर जख्मों पर मरहम लगाया
जिसने जिंदगी में खुशियों को भर दिया
जिसने जात धर्म के भेद को परे रखकर दोस्ती की
जिसने अपनों की फिक्र खुद से भी ज्यादा की
जिसके सहारे ने हर मुश्किल को आसान कर दिया
और बदले में उसे किसी अपने का साथ तक ना मिला
एक एक करके सब उसे बीच राह में छोड़कर चले गए
उसके दिल को बेरहमी से तोड़कर चले गए
उसकी ख्वाहिशों के महल को ढहाकर चले गए
उसे इंतेजार की तपिश में जलता हुआ छोड़ गए
ना पीछे पलट कर देखा, ना उसके बारे में सोचा
खुद का सोचकर बस आगे को बढ़ गए
और तौहफ़े में उसे यादों का गुलिस्तां दे गए।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार